प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
प्रशांत किशोर मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं। उनका जन्म 20 मार्च 1977 को बिहार के रोहतास जिले के कोनार गांव में हुआ था। बाद में वे अपने परिवार के साथ बक्सर चले गए। उनके पिता श्रीकांत पांडे बिहार सरकार में डॉक्टर थे, जिनका निधन वर्ष 2019 में हुआ था । प्रशांत किशोर की मां उत्तर प्रदेश के बलिया की रहने वाली हैं। प्रशांत किशोर ने बक्सर के एक पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की और फिर इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए हैदराबाद चले गए।
संयुक्त राष्ट्र में करियर
इंजीनियरिंग के बाद प्रशांत किशोर ने संयुक्त राष्ट्र (UN) के एक हेल्थ प्रोग्राम से जुड़कर काम किया। उनकी पहली पोस्टिंग आंध्र प्रदेश और हैदराबाद में हुई। बाद में उन्हें पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम के लिए बिहार भेजा गया, उस समय राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थीं। इसके बाद उन्हें संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में काम करने का मौका मिला, लेकिन उन्हें फील्ड वर्क अधिक पसंद था। संयुक्त राष्ट्र में उन्होंने एक सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के रूप में काम किया।
व्यक्तिगत जीवन
प्रशांत किशोर की मुलाकात डॉक्टर जाह्नवी दास से हुई, जब वे संयुक्त राष्ट्र के हेल्थ प्रोग्राम में काम कर रहे थे। उनकी दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल गई और दोनों ने शादी कर ली। प्रशांत किशोर और जाह्नवी दास का एक बेटा भी है। जाह्नवी पेशे से डॉक्टर हैं और कभी-कभी वे गैर-राजनीतिक कार्यक्रमों में प्रशांत किशोर के साथ नजर आती हैं।
राजनीतिक रणनीतिकार के रूप में करियर
प्रशांत किशोर भारतीय राजनीति में अपने अनूठे और डेटा-आधारित दृष्टिकोण के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने 2014 में बीजेपी के लिए नरेंद्र मोदी के चुनाव अभियान का नेतृत्व किया, जिसके बाद उन्होंने नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, जगन रेड्डी और एमके स्टालिन जैसे प्रमुख नेताओं के लिए चुनावी रणनीतियां बनाईं।
चुनावी योगदान और सफलता
उनकी सबसे बड़ी ताकत जनता की नब्ज़ को समझने की क्षमता है। बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की जीत के बाद उनका कद और बढ़ा, क्योंकि उन्हें इस जीत के पीछे एक प्रमुख योगदानकर्ता माना गया। वे लगातार विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए चुनावी प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालते थे और उनकी सेवाएं किसी एक पार्टी तक सीमित नहीं थी ।
जनसुराज पार्टी और राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं
प्रशांत किशोर ने हाल ही में अपने राजनीतिक दल का नाम “जनसुराज पार्टी” रखा है। उन्होंने दलित चेहरा मनोज भारती को पार्टी का अध्यक्ष बनाया है । प्रशांत किशोर की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं भी सवालों के घेरे में हैं। कई विश्लेषकों का मानना है कि वे अब केवल एक चुनावी रणनीतिकार नहीं रहना चाहते, बल्कि भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रशांत किशोर बातें बहुत अच्छी कर रहें हैं । भारतीय राजनीति की उनकी समझ बहुत अच्छी है । बिहार की राजनीति में वे और उनकी जनसुराज पार्टी कितना योगदान दे पाती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा।