आजकल कई लोग जो बराबर यह प्रश्न कर रहे होते हैं की क्या मंदिर बनने से रोजगार मिल जाएगा। । अगर वास्तव में वह प्रश्न कर रहे होते की क्या मंदिर, मस्जिद, चर्च आदि बनने से रोजगार मिल जाएगा तो इसे छोड़ दिया जा सकता था। । किन्तु वे लोग केवल मंदिर की बात कर रहे होते है, क्यूंकि इससे एक विशेष वर्ग का होने या लिब्रल कूल होने का आभाष होता है । अधिकतर भारतीय एलिट वर्ग हीनता का शिकार है । अतः वह अपने जड़, परिवार, राष्ट्र, धर्म आदि को गाली देने में गर्व महसूस करता है । अगर वर्तमान की बात की जाए तो एक ऐसा एकोसिस्टम तैयार हो चुका है, जो ऐसे लोगों को सहयोग करता है चाहे आर्थिक, सामाजिक, कानूनी आदि तौर पर क्यूँ ना हो ।
आज के इस आलेख में हमलोग जानने की कोशिश करते हैं की मंदिर बनने से रोजगार मिलता है या नहीं ।
मंदिरों से किसे रोजगार मिलता है ?
- आमतौर पर मंदिर को बनाने में मजदूर, मूर्तिकार तथा अन्य कर्मी वर्षों तक लगे रहते हैं, जिससे उन्हें अपने परिवार को भरण पोषण करने में सहूलियत होती है । सामान्य मंदिर के निर्माण के लिए अधिकतर जो कर्मी होते हैं वो आसपास के लोग ही होतें हैं ।
- मंदिर के बनने के पश्चात तीर्थयात्री का आना जाना शुरू हो जाता है, जिससे सरकार विवश होती है सड़क व अन्य इन्फ्रा स्ट्रक्चर का विकास करने हेतु ।
- मंदिर के आस पास धर्मशाला, होटल आदि का निर्माण होता है जिससे लोगों को रोजगार मिलता है ।
- मंदिर बनने से उसके आस पास लोगों का आवागमन बढ़ जाता है, गाड़ी, ऑटो आदि का तीर्थयात्री प्रयोग शुरू करते हैं जिससे वहाँ के लोगों को रोजगार मिलता है ।
- एक विशेष वर्ग को पुजारियों से तो सख्त नफरत है, भले ही किसी वर्ग का हो पर मौलवी और पादरियों से बहुत लगाव है । पुजारियों के भरण पोषण को को हम अभी के लिए इग्नोर कर देते हैं ।
- मंदिरों के परिसर में मुंडन आदि का कार्य भी होता है जिससे वहाँ के नाई लोग की आमदनी होती है ।
- मंदिर के आस पास फूल, फल आदि बेचने वाले लोग भी लाभान्वित होते हैं ।
एक विशेष वर्ग की आँखों पर पट्टी बांधा हुया है, इसलिए वो वास्तविकता को देख नहीं पाते हैं । आपलोग अपनी आँखों पर पट्टी नहीं बंधने दे और वास्तविकता को बिना जाने अपने विचार ना बनाए ।